14 कोसी परिक्रमा: अयोध्या का पवित्र आयोजन और कार्तिक मेला
अयोध्या, जो भगवान श्रीराम की जन्मभूमि के रूप में जानी जाती है, अपने धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां परिक्रमा के विभिन्न आयोजन होते हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था और भक्ति का प्रतीक हैं। अयोध्या में तीन प्रमुख प्रकार की परिक्रमा होती है: 5 कोसी परिक्रमा, 14 कोसी परिक्रमा, और 84 कोसी परिक्रमा। आइए जानते हैं इनकी विशेषताएं और महत्व।
1. 5 कोसी परिक्रमा
5 कोसी परिक्रमा, अयोध्या में सबसे छोटी परिक्रमा है। इसमें भक्त लगभग 15 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। यह परिक्रमा मुख्यतः कार्तिक मास में आयोजित की जाती है। 11 नवंबर 2024 को दिन में 1 बजकर 54 मिनट से पंच कोसी परिक्रमा प्रारंभ होगी, जो 12 नवंबर 2024 को देवोत्थानी एकादशी के अवसर पर सुबह 11 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। इस यात्रा का उद्देश्य भगवान राम की कृपा प्राप्त करना और भक्ति भाव के साथ उनके चरणों में श्रद्धा अर्पित करना है।
2. 14 कोसी परिक्रमा
14 कोसी परिक्रमा, जो लगभग 42 किलोमीटर की होती है, अयोध्या में एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। यह भी कार्तिक मास में होती है और भक्तों को इसमें भाग लेने का विशेष महत्व होता है। आगामी 9 नवंबर 2024 को सायं 6 बजकर 32 मिनट से लेकर 10 नवंबर 2024 को सुबह 4 बजकर 45 मिनट तक 14 कोसी परिक्रमा संचालित होगी। इस परिक्रमा में भक्त विभिन्न स्थानों का दर्शन करते हैं और अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं। यह परिक्रमा हर साल कार्तिक पूर्णिमा के आसपास होती है और इसके बाद कार्तिक मेले का समापन स्नान के साथ होता है।
3. 84 कोसी परिक्रमा
84 कोसी परिक्रमा, अयोध्या की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण परिक्रमा है। यह हर तीन साल में एक बार होती है और भक्त लगभग 273 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। इस परिक्रमा में अनेक पवित्र स्थानों और तीर्थों का दर्शन होता है। भक्तों का मानना है कि इस परिक्रमा को पूर्ण करने से उन्हें विशेष आध्यात्मिक लाभ और पापों का नाश होता है।
परिक्रमा का धार्मिक महत्व
परिक्रमा का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। माना जाता है कि इस यात्रा को करने से भक्तों को विशेष पुण्य प्राप्त होता है और उनके पाप समाप्त होते हैं। इस दौरान, भक्त विभिन्न मंदिरों, पवित्र घाटों, और अन्य धार्मिक स्थलों पर रुकते हैं, जहां वे पूजा-अर्चना करते हैं। यह परिक्रमा न केवल धार्मिक यात्रा है, बल्कि भक्तों के जीवन में आध्यात्मिक अनुशासन को भी बढ़ावा देती है।
कार्तिक मेला: अयोध्या की धूम
14 कोसी परिक्रमा के साथ ही अयोध्या में कार्तिक महीने में कार्तिक मेला होता है। यह मेला विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होता है और हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस मेले में भक्त उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से आते हैं, जहां वे भगवान की पूजा करते हैं। कार्तिक स्नान और दीपदान मेले के प्रमुख आकर्षण हैं।
अयोध्या के प्रमुख उत्सव
अयोध्या में परिक्रमा मेला के साथ कई अन्य महत्वपूर्ण उत्सव भी आयोजित होते हैं, जो इसकी धार्मिक धरोहर को और भी समृद्ध करते हैं।
रामनवमी: भगवान श्रीराम के जन्म का यह पर्व अयोध्या में बहुत ही भव्य रूप से मनाया जाता है। राम जन्मभूमि मंदिर और अन्य प्रमुख मंदिरों में विशेष पूजन-अर्चन और शोभायात्राएं आयोजित की जाती हैं। रामनवमी के दिन, सरयू नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व है।
दीपोत्सव: यह अयोध्या का सबसे प्रसिद्ध उत्सव बन चुका है। दीपावली के अवसर पर अयोध्या को लाखों दीपों से सजाया जाता है, जिसे दीपोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान राम के वनवास से लौटने की खुशी में दीप जलाते हैं और आतिशबाजी का आयोजन करते हैं।
सावन झूला मेला: सावन के महीने में यह मेला विशेष रूप से महिलाओं के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। भगवान राम और सीता माता की प्रतिमाओं को झूले में सजाकर झूला झुलाया जाता है। भक्तगण गीत-संगीत के माध्यम से अपने आनंद का इजहार करते हैं।
कार्तिक मेला: कार्तिक पूर्णिमा के समय परिक्रमा के साथ कार्तिक मेले का आयोजन होता है। इसमें कार्तिक स्नान, दीपदान और भजन-कीर्तन होते हैं। भक्त इस दौरान सरयू नदी में स्नान करते हैं और दीप जलाकर अपने श्रद्धा भाव को प्रकट करते हैं।
श्रावण मास: इस पवित्र महीने में, हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष आयोजन किए जाते हैं। अयोध्या के मंदिरों में शिव पूजन का माहौल देखते ही बनता है।